शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने से पहले फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस सीखने की सलाह दी जाती है। लेकिन नए इन्वेस्टर को समझ नहीं आता फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस क्या होता है? (technical analysis kya hai) आज इस आर्टिकल में दोनों को समझेंगे और टेक्निकल एनालिसिस क्या है? को विस्तार से जानेंगे।
फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस क्या है?
यदि आप किसी शेयर में लॉन्ग टर्म के लिए इन्वेस्ट करना चाहते है, तो आपको कंपनी का फंडामेंटल और स्टॉक का टेक्निकल जाँच करना होता है। इसके बिना इन्वेस्टमेंट रिस्क के धारिया में कूदने जैसा है।
फंडामेंटल एनालिसिस क्या है?
यह उनके लिए ज्यादा उपयोगी है, जो अपना पैसा कंपनी में एक साल से ज्यादा समय के लिए लगाना चाहते है। यदि कंपनी का नींव या फंडामेंटल कमजोर हो, तो एक छोटा सा झटका कंपनी का शेयर प्राइस आसमान से जमीन में पटक सकता है। इससे निवेशक का पैसा डूब सकता है।
फंडामेंटल एनालिसिस में कंपनी का वैल्यू, कमाई का स्रोत, प्रोडक्ट या सर्विस की पॉपुलैरिटी, कंपनी का फ्यूचर प्लान, प्रोडक्ट या सर्विस का फ्यूचर में डिमांड, प्रॉफिट ग्रोथ, नेट वर्थ ग्रोथ, कर्ज, मार्किट में कॉम्पिटिटर, कंपनी पर कोर्ट केस, पोलिटिकल सपोर्ट, ROE और ROEC इत्यादि पर विशेष ध्यान जाता है। यदि निवेशक को ये सब ठीक महसूस होता है, तो वह कंपनी के शेयर में निवेश करता है।
टेक्निकल एनालिसिस क्या है: technical analysis kya hai
टेक्निकल एनालिसिस करना, शार्ट टर्म इन्वेस्टर के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। किसी शेयर का टेक्निकल एनालिसिस करके प्राइस के बढ़ने या घटने का अनुमान लगाया जा सकता है। एक अच्छा टेक्निकल एनालिस्ट प्रॉफिट ज्यादा और लॉस कम करता है।
टेक्निकल एनालिसिस दो तरीके से किया जाता है, पहला चार्ट पैटर्न का एनालिसिस और दूसरा इंडिकेटर्स का उपयोग। दोनों के एनालिसिस से ट्रेडर शेयर का प्राइस मूवमेंट और ट्रैंड को जानने का प्रयास करते है।
एक टेक्निकल एनालिसिस एक्सपर्ट प्राइस मूवमेंट का सटीक अनुमान लगा लेता है। शेयर कब खरीदना और कब बेचना चाहिए, यह टेक्निकल एनालिसिस से जान सकते है।
पूरा ज्ञान: Technical analysis kya hai
शार्ट टर्म ट्रेडिंग कुछ घंटो या कुछ दिन के लिए होता है। इसमें शेयर प्राइस के मूवमेंट से प्रॉफिट कमाने का प्रयास किया जाता है। मार्केट में शेयर का कीमत हर एक मिनट बदलता रहता है। शेयर की कीमत कब घटने वाली है और कब बढ़ने वाला है? इसे जानने के लिए ट्रेडर ने टेक्निकल एनालिसिस को जन्म दिया। इसके जन्मदाता जोसफ दे ला वेगा और होम्मा मुनेहिसा को माना जाता है।
टेक्निकल एनालिसिस में ट्रेडर शेयर प्राइस के बदलते पैटर्न के इतिहास को देखता है और भविष्य में कैसे बदल सकता है इसका अनुमान लगाता है। टेक्निकल एनालिसिस मुख्यतः तीन मान्यताओं पर काम करता है। की
- हिस्ट्री रीपीट इन शेयर,
- प्राइस फॉलो ट्रेंड्स,
- स्थिर फंडामेंटल.
1. हिस्ट्री रीपीट इन स्टॉक मार्केट
टेक्निकल एनालिसिस में पहली मान्यता है की शेयर मार्किट में स्टॉक प्राइस का इतिहास बार-बार रीपीट होता है। इसका मतलब बीते दिनों में शेयर प्राइस जिस परिस्थिति में बदली थी, वैसी परिस्थिति यदि फ्यूचर में आती है, तो शेयर प्राइस फिर पास्ट की तरह बदलेगी।
ट्रेडिंग में बयार और सेलर के सायकोलोजी का विशेष महत्त्व होता है, इसलिए ट्रेडर मानते है की जब पास्ट परिस्थिति में ट्रेडर ने जैसा बिहेव किया था, सामान परिस्थिति फिर आने पर ट्रेडर फिर उसी तरह बिहेव करेंगे। इससे शेयर प्राइस भी पिछले बार की तरह घटेगा या बढ़ेगा ।
2. प्राइस फॉलो ट्रेंड्स
दूसरी मान्यतः के अनुसार शेयर प्राइस ट्रेंड को फॉलो करता है। ट्रैंड को तीन भागो में बाटां गया है। उप ट्रेंड, डाउन ट्रैंड और साइड वेज ट्रैंड।
- उप ट्रैंड: जब शेयर का प्राइस लगातार बढ़ रहा हो, तो उसे उप ट्रैंड कहते है। इसमें शेयर की कीमत उप-डाउन होते हुए लगातार बढ़ता रहता है।
- डाउन ट्रेंड: इसमें शेयर की कीमत उप-डाउन करते हुए, लगातार कम होती जाती है। जब शेयर की कीमत लगातार घटती है, तो उसे डाउन ट्रेंड कहते है।
- साइड वेज ट्रेंड: जब शेयर का कीमत किसी निश्चित प्राइस के आस-पास ही रहती है, तो इस ट्रेंड को साइड वेज कहते है। इस तरह के ट्रेंड में शेयर की कीमत एक निश्चित कीमत के बीच फंसा हुआ महसूस होता है। इसमें शेयर का कीमत बढ़ता है और फिर वापस घाट कर उसी जगह आ जाता है। यह घंटो तक रह सकता है।
3. स्थिर फंडामेंटल
इस मान्यतः में माना जाता है की कंपनी का फंडामेंटल स्थिर रहता है, फंडामेंटल के कारण शेयर की कीमत नहीं बदलती है। इसलिए शार्ट टर्म ट्रेडिंग में इसका कोई महत्त्व नहीं रखता। शार्ट टर्म ट्रेडर प्राइस पर ज्यादा फोकस करते है।
टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग
आधुनिक टेक्निकल एनालिसिस डॉ (Dow) थ्योरी पर आधारित है। इस थ्योरी में हम ऐतिहासिक डाटा को देख कर फ्यूचर प्राइस मूवमेंट का अनुमान लगते है। सटीक अनुमान लगाने के लिए तीन चीजों का एनालिसिस किया जाता है:
- इंडिकेटर,
- चार्ट्स,
- ऐतिहासिक डाटा।
A. इंडीकेटर्स
आज ट्रेडिंग पूरी तरह ऑनलाइन होता है। आप घर बैठे मोबाइल या लैपटॉप से ट्रेडिंग कर सकते है। सभी ब्रोकर ट्रेडिंग के लिए बेहतर सॉफ्टवेयर दें रहे है, जो मार्केट के जटिल गणित को सोल्वे करके ट्रेडिंग को आसान बनते है। इंडिकेटर जटिल गणित के परिणाम ही होते है। इंडिकेटर से ट्रेडर कीमत के बढ़ने या घटने का अनुमान लगते है।
आधुनिक सॉफ्टवेयर में बहुत से इंडिकेटर है, लेकिन कुछ प्रमुख और पॉपुलर इंडिकेटर के नाम:
- वॉल्यूम (Volume),
- मूविंग एवरेज (Moving Average- MV),
- रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (Relative Strength Index: RSI),
- बोलिंगर बैंड (Bollinger Bands- BB),
- मूविंग एवरेज कन्वर्जेन्स-दिवेर्जेंस (Moving Average Convergence-Divergence- MACD)
- वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (Volume & Weighted Average Price- VWAP)
B. चार्ट्स
टेक्निकल एनालिसिस में चार्ट का एनालिसिस अलग-अलग टाइम फ्रेम में किया जाता है। स्कल्पिंग करने वाले ट्रेडर एक, दो या 5 मिनट का चार्ट देखते है। इंट्राडे करने वाले ट्रेडर 5 से 15 मिनट का चार्ट देखते है। स्विंग ट्रेडर डे, वीक और मंथ का चार्ट देखना पसंद करते है।
चार्ट भी कई प्रकार के होते है, सबसे पॉपुलर जापानी कैंडल चार्ट है। जापानी कैंडल चार्ट में हाई, लौ, ओपन और क्लोजिंग प्राइस को समझना आसान होता है। इसके अलावे लाइन चार्ट और बार चार्ट भी काफी लोगो द्वारा पसंद किया जाता है।
C. ऐतिहासिक डाटा
सभी कंपनी की अपना एक इतिहास होता है, इसका प्रभाव कंपनी के शेयर प्राइस में पड़ता है। शेयर प्राइस सम्बंधित न्यूज़, कोर्ट केस, पोलेटिकल पार्टी के सपोर्ट, एनुअल बजट इत्यादि के समय शेयर का प्राइस कैसा बेहव करता है। इसका अध्ययन भी किया जाता है। यह मौका कभी-कबार आता है, इसलिए कई ट्रेडर इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते, लेकिन प्रो ट्रेडर इसका बहुत अच्छा फायदा उठाते है।
लिमिटेशन: Technical analysis kya hai
टेक्निकल एनालिसिस सीखने के बाद कोई लोगों ने करोड़ों कमाएं है, जबकि कुछ लोग इसे सीखने के बाद भी अपना पैसा गवां रहे है। इसका कारण वे टेक्निकल एनालिसिस के लिमिट को नहीं समझ रहे है।
टेक्निकल एनालिसिस अनुमान पर काम करता है। अनुमान और वास्तविकता में अंतर होता है। टेक्निकल एनालिसिस आपको प्रॉफिट करने में सहयोग करता है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं की यह हमेशा सही ही होगा। एनालिसिस करने के बाद भी आपको स्टॉपलॉस लगाना होता है। ट्रेडिंग में अनुशासन रखना होता है। एनालिसिस पर आंख बंद करके भरोसा ना करें और रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो पर ध्यान में रखें।
FAQ: Technical analysis kya hai
आर्टिकल “Technical analysis kya hai” से सम्बंधित कुछ सामान्य जन के प्रश्न और उसका सक्षेप में उत्तर नीचे दिया गया है।
ट्रेडिंग में वॉल्यूम का मतलब क्या होता है?
सिलेक्टेड टाइम फ्रेम में टोटल खरीदे और बेचें गए शेयर का कुल योग को वॉल्यूम कहते है। सामान्यता वॉल्यूम कैंडल चार्ट के नीचे होता है।
तकनीकी विश्लेषण से क्या तात्पर्य है?
जब ट्रेडर किसी कंपनी के शेयर के इतिहास को देख कर फ्यूचर कैसा बदल सकता है, इसका अनुमान चार्ट पैटर्न और इंडिकेटर की मदद लगता है, इसको टेक्निकल एनालिसिस कहते है। लेख में विस्तार से समझाया गया है।